गौर कीजिएगा , कीमती अल्फाजों को । बाज़ार से सारी रौनकें ख़रीद लाएं , दौलत शौहरत , गहने ज़ेवर , माशाअल्ला ! कायनात स चुना था , निकाह का जोड़ा । कमी कहां , पर ख़ाली , कुछ तो , रवां उसके भीतर , जज़्बात भरे थे । पर सुनने वाले , खलिश को भरने वाले , शून्य लोग थे । सारे ऐश-आे-आराम थे , पर जान भरना भूले थे । क्या पुतली को विदा किए थे ? ---Anuradha Sharma ©Anuradha Sharma #marriage #forcedmarriage #feelings #society #familypressure #caste #yqbaba #yqshorttales