अब कहने को रह ही क्या गया था दरमियां तुमनें नजरे जो झुका दी , लो मै जान गया ,, ये जो बस्ल की बाते है और अब मै काफिर हूँ कभी जो मौहब्बत से झुकी थीं नजरे, लो मै जान गया तू मुझको अजीज थी ,मै तुझको अजीज था न ये किस्मत को यें मंजूर था जो ज़रा सा इशारा हुआ ,लो मै जान गया ,, मोहब्बत न नाचीज मेरी थी न नांचीज तेरी थी ये जो शोरगुल क्या हुआ ,लो मै जान गया ,, ज़िसे तुम चाहौ उसे पा जाना ही मोहब्बत नहीं कभी ख़ुशी के लिये छोड़ देना ,लो मै जान गया ,, टूट जॉउंगा तुझे खोक़र ,ये बेकार की सोच है टूट कर तुझे चाहा है अौर जीना ,लो मै जान गया ,, माना कि किस्से मशहूर है heer अौर राँझा के हींर की एक मुश् कान को किसी ने अपने अंदर के राँझा को दबाया होगा, लो मै जान गया ,, मोहब्बत न सही दोस्ती क्यों नहीं ज़िन्दगी तो यूँ हीं चलेगी तू भी जान ले ,मै तो जान गया ,, Lakshmi singh