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gumnaam Ladka सज रही थी उसकी दिलरुबा, देहलीज पे उस

gumnaam Ladka सज रही थी उसकी दिलरुबा,
देहलीज पे उसकी बारात आएगी,
पर चल दिया वो सरहद की ओर
बदन पे लगी थी हल्दी,
वतन पे आंच आयी थी।
मेहबूबा से पहले....
मां की मोहब्बत ने आवाज़ लगाई थी!
gumnaam Ladka सज रही थी उसकी दिलरुबा,
देहलीज पे उसकी बारात आएगी,
पर चल दिया वो सरहद की ओर
बदन पे लगी थी हल्दी,
वतन पे आंच आयी थी।
मेहबूबा से पहले....
मां की मोहब्बत ने आवाज़ लगाई थी!

सज रही थी उसकी दिलरुबा, देहलीज पे उसकी बारात आएगी, पर चल दिया वो सरहद की ओर बदन पे लगी थी हल्दी, वतन पे आंच आयी थी। मेहबूबा से पहले.... मां की मोहब्बत ने आवाज़ लगाई थी! #कहानी