वो चाहता है,इश्क भी हो, गर किसी को पता न चले। मानो जिंदा भी रहें, और सांस न चले। एक उम्र तक साथ का वादा है । साथ भी चलें,गर हमसफर न लगे। वो खुद ही छत पर आ जाता है के कहीं मुझको गर्मियों की धूप न लगे। कहता है अभी वक्त है विसाल में और मुझे डर है के कहीं उम्र न लगे। मोहब्बत - ए - जिक्र नहीं करने देता ,गैर से वो चाहता है, कि हमें नजर न लगे। घर नहीं बुलाया उसने अपने कभी कहता है घरवालों को खबर न लगे। ©अज्ञात पता न चले