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वो चाहता है,इश्क भी हो, गर किसी को पता न चले। मा

वो चाहता है,इश्क भी हो,
 गर किसी को पता  न चले।
मानो  जिंदा भी रहें,
 और सांस न चले।

एक उम्र तक साथ का वादा है ।
 साथ भी चलें,गर हमसफर न लगे।
वो खुद ही छत पर आ जाता है
के कहीं मुझको गर्मियों की धूप न लगे।

 कहता है अभी वक्त है विसाल में
और मुझे डर है के कहीं उम्र न लगे।
मोहब्बत - ए - जिक्र नहीं करने देता ,गैर से
वो चाहता है, कि हमें नजर न लगे।

घर नहीं बुलाया उसने अपने कभी 
कहता है घरवालों को खबर न लगे।

©अज्ञात पता न चले
वो चाहता है,इश्क भी हो,
 गर किसी को पता  न चले।
मानो  जिंदा भी रहें,
 और सांस न चले।

एक उम्र तक साथ का वादा है ।
 साथ भी चलें,गर हमसफर न लगे।
वो खुद ही छत पर आ जाता है
के कहीं मुझको गर्मियों की धूप न लगे।

 कहता है अभी वक्त है विसाल में
और मुझे डर है के कहीं उम्र न लगे।
मोहब्बत - ए - जिक्र नहीं करने देता ,गैर से
वो चाहता है, कि हमें नजर न लगे।

घर नहीं बुलाया उसने अपने कभी 
कहता है घरवालों को खबर न लगे।

©अज्ञात पता न चले