बचपन और उम्मीद वो बचपन लौटा दो कोई जहां ना अपनों पर ना परायों पर बोझ थे जहां ना माइका होता था ना ससुराल सिर्फ अपना घर होता था ©Aarti Kumari #BachpanAurUmeed