Nojoto: Largest Storytelling Platform

स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वय

स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वयं त्रिदेव नकमस्तक हैं।।
जो अपनी शक्ति का भान होने से पहले ही उसे त्याग देती हैं।। 
ताकि उसके परिवार सदैव सुखी और सम्पन्न,जीवन जिए । 
क्योंकि, वह जानती उसके कर्तव्य निर्वहन के अभाव में परिवार की उत्पत्ति और संचालन दोनो ही असंतुलित हो जायेंगे।।
 और जो पुरुष स्त्री का सम्मान करके उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेता हैं।।।
वहीं पुरुष इस समाज और संसार में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर जाता हैं।।
 मां बच्चे को अनुकूलन के लिए तत्पर करती हैं।।
बहन सदैव भाई को अनुकूलन पश्चात  समाज में संघर्ष  हेतु तत्पर करती हैं।।
एक अधांगिनी सदैव अथक संघर्ष करके जीत कर बाहर निकलने के लिए प्रेरित करती हैं।।
!!!सोचो!!!!
जो एक साधारण से पुरुष को सर्वश्रेष्ठ बना सकती हैं।। 
वो जब अपने बारे में सोचेगी तो क्या होगा।।
 तब सारा पुरुष साम्राज्य शून्य हो जायेगा ।।
यह साम्राज्य उसी शक्ति की नीव पर खड़ा हैं, 
जिसपर वह आजीवन वर्चस्व चाहता हैं।
 जिसको बराबर दर्जा देने में पुरुष साम्राज्य के हृदय पर आघात होता हैं।।
क्योंकि उसे भान हैं, अवसर प्राप्त होते ही शक्तियां भी जाग्रत होंगी।
और स्त्री फिर से शक्ति बन जायेगी।।

©KAJAL The poetry writer #Flower 
स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वयं त्रिदेव नकमस्तक हैं।।
जो अपनी शक्ति का भान होने से पहले ही उसे त्याग देती हैं।। 
ताकि उसके परिवार सदैव सुखी और सम्पन्न,जीवन जिए । 
क्योंकि, वह जानती उसके कर्तव्य निर्वहन के अभाव में परिवार की उत्पत्ति और संचालन दोनो ही असंतुलित हो जायेंगे।।
 और जो पुरुष स्त्री का सम्मान करके उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेता हैं।।।
वहीं पुरुष इस समाज और संसार में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर जाता हैं।।
 मां बच्चे को अनुकूलन के लिए तत्पर करती हैं।।
स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वयं त्रिदेव नकमस्तक हैं।।
जो अपनी शक्ति का भान होने से पहले ही उसे त्याग देती हैं।। 
ताकि उसके परिवार सदैव सुखी और सम्पन्न,जीवन जिए । 
क्योंकि, वह जानती उसके कर्तव्य निर्वहन के अभाव में परिवार की उत्पत्ति और संचालन दोनो ही असंतुलित हो जायेंगे।।
 और जो पुरुष स्त्री का सम्मान करके उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेता हैं।।।
वहीं पुरुष इस समाज और संसार में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर जाता हैं।।
 मां बच्चे को अनुकूलन के लिए तत्पर करती हैं।।
बहन सदैव भाई को अनुकूलन पश्चात  समाज में संघर्ष  हेतु तत्पर करती हैं।।
एक अधांगिनी सदैव अथक संघर्ष करके जीत कर बाहर निकलने के लिए प्रेरित करती हैं।।
!!!सोचो!!!!
जो एक साधारण से पुरुष को सर्वश्रेष्ठ बना सकती हैं।। 
वो जब अपने बारे में सोचेगी तो क्या होगा।।
 तब सारा पुरुष साम्राज्य शून्य हो जायेगा ।।
यह साम्राज्य उसी शक्ति की नीव पर खड़ा हैं, 
जिसपर वह आजीवन वर्चस्व चाहता हैं।
 जिसको बराबर दर्जा देने में पुरुष साम्राज्य के हृदय पर आघात होता हैं।।
क्योंकि उसे भान हैं, अवसर प्राप्त होते ही शक्तियां भी जाग्रत होंगी।
और स्त्री फिर से शक्ति बन जायेगी।।

©KAJAL The poetry writer #Flower 
स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वयं त्रिदेव नकमस्तक हैं।।
जो अपनी शक्ति का भान होने से पहले ही उसे त्याग देती हैं।। 
ताकि उसके परिवार सदैव सुखी और सम्पन्न,जीवन जिए । 
क्योंकि, वह जानती उसके कर्तव्य निर्वहन के अभाव में परिवार की उत्पत्ति और संचालन दोनो ही असंतुलित हो जायेंगे।।
 और जो पुरुष स्त्री का सम्मान करके उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेता हैं।।।
वहीं पुरुष इस समाज और संसार में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर जाता हैं।।
 मां बच्चे को अनुकूलन के लिए तत्पर करती हैं।।

#Flower स्त्री वो सर्वश्रेष्ट आदि शक्ति हैं जिसके आगे स्वयं त्रिदेव नकमस्तक हैं।। जो अपनी शक्ति का भान होने से पहले ही उसे त्याग देती हैं।। ताकि उसके परिवार सदैव सुखी और सम्पन्न,जीवन जिए । क्योंकि, वह जानती उसके कर्तव्य निर्वहन के अभाव में परिवार की उत्पत्ति और संचालन दोनो ही असंतुलित हो जायेंगे।। और जो पुरुष स्त्री का सम्मान करके उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर लेता हैं।।। वहीं पुरुष इस समाज और संसार में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त कर जाता हैं।। मां बच्चे को अनुकूलन के लिए तत्पर करती हैं।। #विचार