उन्हें सोचकर मुस्कराता रहूँगा दीये प्यार के भी जलाता रहूँगा फकत याद के आसरे से हमेशा उन्हें शायरी भी सुनाता रहूँगा - चन्द्रेश टेलर प्रीत के मुक्त ४