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घर की चार दिवारी मे और कभी खिडकियों की सलाखों के प

घर की चार दिवारी मे और कभी
खिडकियों की सलाखों के पीछे
रहकर हस्ते हुए गुज़ारा करे वो औरत है 
गर्म रसोई मे भी सब के लिए 
खाना बनाकर नहीं थकने वाली वो औरत है
तुम्हारे बच्चों को पैदा कर के
उनको अपने सीने से लगाकर 
सुलाती है मग़र खुद जगती रहती है 
वो औरत है
तुम्हारे जाने के इंतज़ाम मे 
और लौटने की ख़ुशी मे 
बेसब्री से इंतज़ार जो करे वो औरत है 
अपने माँ बाप का नाम और घर भुला के 
तुम्हारे घर और नाम को अपना ले वो औरत है 
तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी विधवा कहीं जाये 
और एक सफ़ेद साड़ी मे अपनी 
बकिया  ज़िंदगी गुज़ार दे वही औरत है.  OPEN FOR COLLAB✨ #womanspecial
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts 

• Please maintain the aesthetics.
घर की चार दिवारी मे और कभी
खिडकियों की सलाखों के पीछे
रहकर हस्ते हुए गुज़ारा करे वो औरत है 
गर्म रसोई मे भी सब के लिए 
खाना बनाकर नहीं थकने वाली वो औरत है
तुम्हारे बच्चों को पैदा कर के
उनको अपने सीने से लगाकर 
सुलाती है मग़र खुद जगती रहती है 
वो औरत है
तुम्हारे जाने के इंतज़ाम मे 
और लौटने की ख़ुशी मे 
बेसब्री से इंतज़ार जो करे वो औरत है 
अपने माँ बाप का नाम और घर भुला के 
तुम्हारे घर और नाम को अपना ले वो औरत है 
तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी विधवा कहीं जाये 
और एक सफ़ेद साड़ी मे अपनी 
बकिया  ज़िंदगी गुज़ार दे वही औरत है.  OPEN FOR COLLAB✨ #womanspecial
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kaderistore9761

Abid

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