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आखिरकार..... तारीख 16 दिसंबर 2012 यह दिन वह है जब

 आखिरकार..... तारीख 16 दिसंबर 2012 यह दिन वह है जब देश की राजधानी दिल्ली से एक खबर आती है जघन्य अपराध की। पूरे देश ही नहीं विदेश में भी आग की तरह फैल जाती है। जिसने भी सुना रोंगटे खड़े हो गए थे। हाँ निर्भया नाम दिया गया था ना उसे सचमुच निर्भया थी वह, आखरी साँस तक लड़ी मौत से पर शायद ईश्वर भी उसे इस नर्क में नहीं रहने देना चाहते... सड़कों पर आ गए थे लोग पूरे देश में प्रदर्शन चरम सीमा पर था।जिस दिन मैंने अखबार की सुर्खियों में देखा तो मैं रो पड़ी थी ,कि क्या इतना असुरक्षित है यह देश जो आज एक लड़की के साथ हुआ वह
 आखिरकार..... तारीख 16 दिसंबर 2012 यह दिन वह है जब देश की राजधानी दिल्ली से एक खबर आती है जघन्य अपराध की। पूरे देश ही नहीं विदेश में भी आग की तरह फैल जाती है। जिसने भी सुना रोंगटे खड़े हो गए थे। हाँ निर्भया नाम दिया गया था ना उसे सचमुच निर्भया थी वह, आखरी साँस तक लड़ी मौत से पर शायद ईश्वर भी उसे इस नर्क में नहीं रहने देना चाहते... सड़कों पर आ गए थे लोग पूरे देश में प्रदर्शन चरम सीमा पर था।जिस दिन मैंने अखबार की सुर्खियों में देखा तो मैं रो पड़ी थी ,कि क्या इतना असुरक्षित है यह देश जो आज एक लड़की के साथ हुआ वह