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5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपक

5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना।
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हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter ) माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है।
देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है-
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा ।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।। 5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना।
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हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है।
देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है-
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा॥

अंक ज्योतिष में 5 मूलांक के स्वामी बुद्ध हैं।वे जातक को बुद्धिमान और स्वावलंबी बनाते हैं। भारतीय संस्कृति और योग दर्शन के अनुसार मानव का अस्तित्व 5 कोश (अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय कोश) में विभाजित है। जीवन का जो सार तत्व है वह संख्या 5 है। स्कंदमाता जीवन के सारतत्वों का विस्तार हैं।उनके नाम में अलग से माता नहीं लगाना पड़ता। स्कन्द की माता, बैसे तो स्कन्द का अर्थ क्षरण होता है।क्षरण को स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान शिव की ऐसी शक्ति जो विनाश करने के लिए सृष्टि में पैदा होती है। तारकासुर का वध करने के बाद उनके पुत्र कार्तिकेय को स्कन्द' नाम की उपाधि दी गई। कार्तिकेय की माँ यानी देवी पार्वती ही स्कंदमाता कहलाईं।
5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना।
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हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter ) माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है।
देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है-
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा ।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।। 5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना।
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हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है।
देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है-
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा॥

अंक ज्योतिष में 5 मूलांक के स्वामी बुद्ध हैं।वे जातक को बुद्धिमान और स्वावलंबी बनाते हैं। भारतीय संस्कृति और योग दर्शन के अनुसार मानव का अस्तित्व 5 कोश (अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय कोश) में विभाजित है। जीवन का जो सार तत्व है वह संख्या 5 है। स्कंदमाता जीवन के सारतत्वों का विस्तार हैं।उनके नाम में अलग से माता नहीं लगाना पड़ता। स्कन्द की माता, बैसे तो स्कन्द का अर्थ क्षरण होता है।क्षरण को स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान शिव की ऐसी शक्ति जो विनाश करने के लिए सृष्टि में पैदा होती है। तारकासुर का वध करने के बाद उनके पुत्र कार्तिकेय को स्कन्द' नाम की उपाधि दी गई। कार्तिकेय की माँ यानी देवी पार्वती ही स्कंदमाता कहलाईं।

5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है। देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा। पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा॥ अंक ज्योतिष में 5 मूलांक के स्वामी बुद्ध हैं।वे जातक को बुद्धिमान और स्वावलंबी बनाते हैं। भारतीय संस्कृति और योग दर्शन के अनुसार मानव का अस्तित्व 5 कोश (अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय कोश) में विभाजित है। जीवन का जो सार तत्व है वह संख्या 5 है। स्कंदमाता जीवन के सारतत्वों का विस्तार हैं।उनके नाम में अलग से माता नहीं लगाना पड़ता। स्कन्द की माता, बैसे तो स्कन्द का अर्थ क्षरण होता है।क्षरण को स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान शिव की ऐसी शक्ति जो विनाश करने के लिए सृष्टि में पैदा होती है। तारकासुर का वध करने के बाद उनके पुत्र कार्तिकेय को स्कन्द' नाम की उपाधि दी गई। कार्तिकेय की माँ यानी देवी पार्वती ही स्कंदमाता कहलाईं। #yqdidi #नवरात्रि #पाठकपुराण