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ये जुस्तजू थी चाहत की, या गुफ्तगू तेरे कदमों के आह

ये जुस्तजू थी चाहत की,
या गुफ्तगू तेरे कदमों के आहट की।
पास थी तू मेरे फिर भी दिल में न जाने क्या घबराहट थी ।। #pandaywrites
ये जुस्तजू थी चाहत की,
या गुफ्तगू तेरे कदमों के आहट की।
पास थी तू मेरे फिर भी दिल में न जाने क्या घबराहट थी ।। #pandaywrites