अचानक से आकर चले जाना, चाँद का बादलों में खो जाना, शामो सहर बरसती है बूँदे है सावन से कुछ नाता पुराना। टपकी थी वस्ल की शब भी कभी, हिज्र से बचा था हिसाब पुराना। गो खुश हूँ महफ़िल में तेरी आकर, मगर ख़ुशी का पड़ा नक़ाब चढ़ाना। दर ब दर किया इस वक़्त ने हमें, भूलना ही था मुहब्बत का ठिकाना। इज्तिराब में हमने कर ली मुहब्बत, फिर पड़ा मुहब्बत का कर्ज़ चुकाना। सावन से नाता #yqbaba #yqdidi