मैंने सीखा गमों में मुस्कुराना आंसूओं को आंखों से हटाना चिड़िया सी चहचहाना हवा के संग बह जाना दूर सागर के किनारे इक आशियां बनाना जहां मैं हूं और मेरा मन न हो कोई और अनजाना जहां से मैं उड़ सकूं अपने अरमानों के पंख लगा कर न कोई मंजिल न कोई सीमायें जहां से मुझे न कोई वापस बुलाये बस यही है मेरा सपना जो लगता है मुझे अपना मैंने सीखा अपने सपने को संजोना और अपनी खुशियों को साथ में पीरोना (दीप) मैंने सीखा