फिसल कर जो गिरे,ओ खड़े हो गए नज़रों से जो गिरे,ओ गिरते चले गए जो सम्भलना चाहे,उनको कई हाथ मिल गए हँसने वाले तो बस बरबाद होते गए हाल क्या कहें अब देश की अपनी मदद की ज़गह अब देखते चले गए फिसलता भी हैं वहीं,जो चलता है मंज़िल को ओ क्या जाने फिसलना,जो नाचते चले गए ये मुल्क़ भी हँसता हैं अब गिरता हुआ देखकर इसीलिए मुल्क़ में सब पिछड़ते चले गए इतना भी ना गिरो नज़रों में किसी के तुम की साये में सबके तुम दबते चले गए मोदी जी का गिरना