काश, ऐसा भी कोई दिन आए। जिस दिन मेरा भी लहू; मेरे वतन के काम आए।। खुशनसीब समझूंगी उस दिन मैं खुद को, जिस दिन शव मेरा भी तिरंगे में लिपटकर मेरे घर आए।। जयहिंद.... वन्देमातरम.......🇮🇳