✍️ विनय ✍️ रोज का रोज मैं हिसाब करके सोता हूं भूलने वालों को भी याद करके सोता हूं ✍️✍️ क्या पता अगली सुबह कौन लड़ेगा मुझसे आज के दुश्मनों को माफ करके सोता हूं ✍️✍️ मिला जो कुछ मुझे वो मेरे कर्म का फल था मैं अपने साथ यूं इंसाफ करके सोता हूं ✍️✍️ मेरी आंखों से ख्वाब मुस्कुरा के मिलता है हर एक निराश को मैं आस करके सोता हूं ✍️✍️ चैन की नींद यूं आती है विनय अब भी मुझे मुश्किलें दोस्तों की साफ करके सोता हूं ©writervinayazad ✍️ विनय ✍️ रोज का रोज मैं हिसाब करके सोता हूं भूलने वालों को भी याद करके सोता हूं ✍️✍️ क्या पता अगली सुबह कौन लड़ेगा मुझसे आज के दुश्मनों को माफ करके सोता हूं ✍️✍️ मिला जो कुछ मुझे वो मेरे कर्म का फल था