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उस दिन कलम भी रोई थी यह दास्तान लिखने से उस दिन भा

उस दिन कलम भी रोई थी यह दास्तान लिखने से
उस दिन भारत माता मजबूर थी दो हिस्सों में बटने से
सरहदें बन गई भारत माता के सीने पर
वह मां रोती रही दो बेटों के कटने से सरहदें
उस दिन कलम भी रोई थी यह दास्तान लिखने से
उस दिन भारत माता मजबूर थी दो हिस्सों में बटने से
सरहदें बन गई भारत माता के सीने पर
वह मां रोती रही दो बेटों के कटने से सरहदें

सरहदें