मिजाज हमरे सैंया के जब भई दिवानी बनिगे खटोली पलंग के निशानी भागी भागी फिरी हम कचहरी दीवानी मैका हमार होए उत्तरी भवानी सास मारे ताना ननद का बहाना करुआ करैला हाँ ससुरा बेगाना रोज छोटी बातन पे मोहिका सताना सास बनी दुश्मन ननद औ जेठानी मिजाज हमरे.......... हमका नीचा दिखाना कुल्टा बताना चिरकुट देवरवा अपन हीरो जताना छाती पीटत हैं और शोर मचावत मूड़ मोर फोरेस छोटकी देवरानी मिजाज हमरे......... सबके उँगली उठे इल्जाम लगाना भोरे भोरे मोहका सारा काम सिखाना सैंया मोहार मोहपे हाथ उठावत पूरी ससुरारी मोरी मोहपे रिशानी मिजाज हमरे........... ससुराल का दर्द