कुछ दिन तो बसो मिरी आँखों में फिर ख़्वाब अगर हो जाओ तो क्या तुम आस बंधाने वाले थे अब तुम भी हमें ठुकराओ तो क्या मैं तन्हा था मैं तन्हा हूँ तुम आओ तो क्या न आओ तो क्या है यूँ भी ज़ियाँ और यूँ भी ज़ियाँ जी जाओ तो क्या मर जाओ तो क्या ~उबैदुल्लाह अलीम . ©Hilal Hathravi #Rose कुछ दिन तो बसो मेरी आंखों में...