गुलाब की फ़रमाइश होती है बस इतनी सिद्धत से कोई पहचान ले उसकी ख़ूबसूरती काँटों के बीच खिल कर मुस्कुराता है प्यार से वो सबका दामन सजाता है सब कहते हैं प्यार का प्रतिबिंब हूंँ मैं फिर क्यूँ हर रोज़ तोड़ा जाता हूंँ मैं बेवजह ही हाथ–ओ–हाथ लेते हैं मुझे किसी के यादों का सहारा बना देते हैं मुझे आंतरिक खुशी मिल जाती है मुझे भी जब किसी के खुशी का वजह बनता हूंँ मैं फिर भी मेरे दर्द को कोई जानता नहीं इतनी खुशी देता हूंँ मुझे भी जीने का हक़ है खिलने दो मेरी बगिया के आँगन में मुझे ♥️ Challenge-994 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।