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मैं जो सोचने लगा था, बड़े होश में जो था, ये जो नद


मैं जो सोचने लगा था, बड़े होश में जो था,
ये जो नदी के बाह़ाव में जो मैं चलने लगा था,

चला था बोह़त दूर तक,मुझे लगा वो मिलेगी वहा दूर तक,
यु जो अकेला आया ह़ू यहा तक
उसके साथ सफर पुरा करुगां मंजील तक...!

पर जो ये सोचने लगा हू मैं,क्या खुंद को समजाने लगा हू मैं,

क्या मैं ग़लतफ़यमी में जि रहा हूं मैं,
कि ऐंसा तो नही वक्त से पहीले,
खुंदा से उसे मागने लगा हू मैं...!


 ग़लतफ़हमी हमारी
कहाँ ले आई हमको।
#ग़लतफ़हमी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

मैं जो सोचने लगा था, बड़े होश में जो था,
ये जो नदी के बाह़ाव में जो मैं चलने लगा था,

चला था बोह़त दूर तक,मुझे लगा वो मिलेगी वहा दूर तक,
यु जो अकेला आया ह़ू यहा तक
उसके साथ सफर पुरा करुगां मंजील तक...!

पर जो ये सोचने लगा हू मैं,क्या खुंद को समजाने लगा हू मैं,

क्या मैं ग़लतफ़यमी में जि रहा हूं मैं,
कि ऐंसा तो नही वक्त से पहीले,
खुंदा से उसे मागने लगा हू मैं...!


 ग़लतफ़हमी हमारी
कहाँ ले आई हमको।
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atulwaghade1868

Atul Waghade

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