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बडी गलती करता रहा एक शायर आसुओं से कलम भरता रहा एक

बडी गलती करता रहा एक शायर
आसुओं से कलम भरता रहा एक शायर
रात काली होती रही आँख निली होती रही
पर सबह देखा तो कागज कोरे के कोरे रह गए

©Mr. X आसुओं की सयाही
बडी गलती करता रहा एक शायर
आसुओं से कलम भरता रहा एक शायर
रात काली होती रही आँख निली होती रही
पर सबह देखा तो कागज कोरे के कोरे रह गए

©Mr. X आसुओं की सयाही