खत्म ना हो कभी मुलाकातों का सिलसिला, यूँ ही चलता रहे अपनी बातों का सिलसिला, चाँद रौशन हो फ़लक में, जगमग सितारे हो.. तुम हो, हम हो और हो रातों का सिलसिला। गोविन्द पन्द्राम #सिलसिला