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सुनो, ये जो कदम कदम पे रूठ जाते हो, अच्छा तो नहीं

सुनो, ये जो कदम कदम पे रूठ जाते हो,
अच्छा तो नहीं है।
सब कुछ अपने हिसाब का पाने की जो आस लगाते हो,
मन तुम्हारा सच्चा तो नहीं है।
यूं खुद को सही और औरों को गलत बताना,
कहां की समझदारी है?
जो मिल रहा तुमको उसको यूं ठुकराना,
इसमें तो कोई शाबाशी नहीं है।
अपने सुख के लिए किसी और को रुलाना अच्छा तो नहीं है।
और ये जो झूठे दिलासे दे देकर सबका मन बहलाते हो,
सुनो, यहां सब हैं हमउम्र के, कोई छोटा बच्चा तो नहीं है।
और सुनो, मैदान ए जंग में खिलाड़ी तो हैं बहुत 
अगर तू है पक्का तो बाकी बचा कोई कच्चा तो नहीं है।।

#SHIVANGI ASTHANA SA 🖋️❤️

©Shivangi Asthana #acchanih
सुनो, ये जो कदम कदम पे रूठ जाते हो,
अच्छा तो नहीं है।
सब कुछ अपने हिसाब का पाने की जो आस लगाते हो,
मन तुम्हारा सच्चा तो नहीं है।
यूं खुद को सही और औरों को गलत बताना,
कहां की समझदारी है?
जो मिल रहा तुमको उसको यूं ठुकराना,
इसमें तो कोई शाबाशी नहीं है।
अपने सुख के लिए किसी और को रुलाना अच्छा तो नहीं है।
और ये जो झूठे दिलासे दे देकर सबका मन बहलाते हो,
सुनो, यहां सब हैं हमउम्र के, कोई छोटा बच्चा तो नहीं है।
और सुनो, मैदान ए जंग में खिलाड़ी तो हैं बहुत 
अगर तू है पक्का तो बाकी बचा कोई कच्चा तो नहीं है।।

#SHIVANGI ASTHANA SA 🖋️❤️

©Shivangi Asthana #acchanih