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क्यूँ मुड़-मुड़कर तू देखता है, अब मेरी ख़ुशियों की पर

क्यूँ मुड़-मुड़कर तू देखता है, अब मेरी ख़ुशियों की परवाह न कर।
जब दिल से दिल का ताल्लुक न रहा, तो वक़्त अपना बर्बाद न कर। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ इस महीने दिल खोलकर लिखें। 😊
क्यूँ मुड़-मुड़कर तू देखता है, अब मेरी ख़ुशियों की परवाह न कर।
जब दिल से दिल का ताल्लुक न रहा, तो वक़्त अपना बर्बाद न कर। ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

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