जलता हुआ चराग सभी को पसंद आता है बुझा हुआ चराग किसी को नज़र नहीं आता है , उठता हुआ धुआ चराग से अपनी शंमा को ढूंढने जाता है ।। जलते हुवे परवानों से शंमा का पता पूछकर आता है , शाम ढलने का इंतजार कर परवाना उसे बताता है ।। इस रोशनी में नहीं ढूंढ पाएगा चराग है कहा जाएगा , हम तो परवाने है उसके साथ ही जल जाते है तू समझ इतना बस , ये दुनिया शंमा की दीवानी है लेकिन वो तेरी है जरूर आएगी । शाम ढलने दे वो तेरी बाहों में सिमट जाएगी हम तो जलकर भी साथ नहीं रहते , नसीब तेरा है ओर हम मिलते रहते है परवाना जल कर ख़ाक हो जाता है शंमा तो चराग की है यारो हमेशा से परवाना यू ही बदनाम हुवे जाता है **रूद्र** परवाना 😓😓😓😓