“पत्थर दिल हमसफ़र” मुझे तुम पत्थर दिल मानते हो पर मैंने भी तुझे खोया है तुझे याद कर के अक्सर रातों में मैं भी रोई हूंँ हम तो हमेशा हंँसते थे तेरे दिए हुए ज़ख्मों से ठीक से रोया भी नहीं जाता कितने पत्थर दिल निकले तुम बीच ज़िंदगी के सफ़र में छोड़ दिया रोने के लिए उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम साथ थे मेरे मुझे रोक कर पूछा अब तेरा हमसफ़र कहांँ है? #similethougths #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkपत्थरदिलहमसफ़र