दुनिया की शतरंजी चालें समझ में आती नहीं, बनावटी रौनकें मन को सुकुन दे पाती नहीं। झूठी महफिलों से तन्हा रहना अच्छा है, ये वो दुनिया है जो किसी पे तरस खाती नहीं । बेमुरब्बती दिल की चेहरे से नजर आती नहीं, कोरे अल्फाज़ से दिल को राहत आती नहीं। झूठी तारीफों से खामोशी सहना अच्छा है, ये वो दुनिया है जो टूटे को हौसला दिलाती नहीं। लिबास चमकते हैं कद्र किरदार की होती नहीं, दिल के भावों से हैसियत आंकी जाती नहीं। रंगीन तस्वीरों से गुमनाम रहना अच्छा है, ये वो दुनिया है जो तस्वीरों के रंग देख पाती नहीं। ..... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 'तरंग' के 💝 से......