बरसती रहें बरकतें, मिलती रहें ख़ुदा की रहमतें, इसके लिये ढूँढ़ना तो होगा नेकी का दरिया कोई।। बाँट कर औरों का दर्द, सँवार दूँ ख़ुशियों से दामन, इसके लिये ढूँढ़ना तो होगा हँसी का ज़रिया कोई।। बचाये रखूँ ख़ुद को, इस दुनियादारी के झंझटों से, इसके लिये ढूँढ़ना तो होगा ईमाँ का सरिया कोई।। 🎀 Challenge-184 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आप सभी को कोरा काग़ज़ समूह की तरफ़ से रमज़ान के इस पावन महीने के मुबारकबाद। 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय हैह 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।