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स्रोता पुकार तड़पी मंदाकिनी मिलने आई। गिरा झरना म

स्रोता पुकार
तड़पी मंदाकिनी
मिलने आई।

गिरा झरना
मंदाकिनी आगोश
हुई सगाई।

प्रेम की होली
नदी निर्झर खेली 
खूब नहाई।

गई निखर
नहाके मंदाकिनी 
निर्झर भायी।

निर्बाध बहा
मोहब्बत झरना 
प्रीत समाई।

मीठा झरना
कल कल बहता
प्यास बुझाई।

रोया झरना
सूखी जब नदिया
हुई विदाई। #हायकू कविता
स्रोता पुकार
तड़पी मंदाकिनी
मिलने आई।

गिरा झरना
मंदाकिनी आगोश
हुई सगाई।

प्रेम की होली
नदी निर्झर खेली 
खूब नहाई।

गई निखर
नहाके मंदाकिनी 
निर्झर भायी।

निर्बाध बहा
मोहब्बत झरना 
प्रीत समाई।

मीठा झरना
कल कल बहता
प्यास बुझाई।

रोया झरना
सूखी जब नदिया
हुई विदाई। #हायकू कविता