Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम्हारी बेटी बाबा बताओ अब मैं कहां जाऊं ना ये घर


तुम्हारी बेटी बाबा
बताओ अब मैं कहां जाऊं
ना ये घर अपना
ना वो घर अपना
पराई दोनो जगह से ठहराई
कोई छत नहीं ऐसी 
जिसको मैं अपना कह पाऊं
तुम्हारी बेटी बाबा
बताओ अब मैं कहां जाऊं
तन से आहत,मन से आहत
करु तो करु किससे शिकायत
नसीब अपना यही समझकर
मै खुद को ही समझाऊं
फिर खुद ही ज़ख्मों को अपने
ढ़क कर चादर से सो जाऊं
तुम्हारी बेटी बाबा
बताओ अब मैं कहां जाऊं
दूर तलक कोई अंत न दिखता
क्या अंत को अंत तक ले जाऊं
तुम्हारी बेटी बाबा
बताओ अब मैं कहां जाऊं

©Garima Srivastava
  #feelings#feelingsad#shayari#poetry#quotes#instgarm#hindiwriting