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#FourlinePoetry परी वो पापा की परी थी सपनो से भरी

#FourlinePoetry परी

वो पापा की परी थी सपनो से भरी थी
नाजुक सी कली थी खुशियों में पली थी 
मन्नतों से मिली थी वो घर की बड़ी थी 
संस्कारों से भरी थी बंदिशों से घिरी थी 
वो पापा की ............................................
आंख सबकी भरी थी.....................
जब     ससुराल     वो       चली      थी
मा   का  कलेजा  ,बाप   की  पगड़ी थी 
पर  आज  सब  छोड़   कर   चली    थी 
जो नाजो से पली थी ...........  ...................
वो पापा की ...............................................
पर   अब    कहानी   कुछ    बदली   थी 
जब    ससुराल।   में    वो    मिली     थी 
जो   मायके     में     सबसे    लड़ी    थी 
वो   ससुराल   में   चुप  -  चाप खड़ी थी 
वो पापा की पारी थी .......................

©kalpana परी
#FourlinePoetry परी

वो पापा की परी थी सपनो से भरी थी
नाजुक सी कली थी खुशियों में पली थी 
मन्नतों से मिली थी वो घर की बड़ी थी 
संस्कारों से भरी थी बंदिशों से घिरी थी 
वो पापा की ............................................
आंख सबकी भरी थी.....................
जब     ससुराल     वो       चली      थी
मा   का  कलेजा  ,बाप   की  पगड़ी थी 
पर  आज  सब  छोड़   कर   चली    थी 
जो नाजो से पली थी ...........  ...................
वो पापा की ...............................................
पर   अब    कहानी   कुछ    बदली   थी 
जब    ससुराल।   में    वो    मिली     थी 
जो   मायके     में     सबसे    लड़ी    थी 
वो   ससुराल   में   चुप  -  चाप खड़ी थी 
वो पापा की पारी थी .......................

©kalpana परी
justwritersayer7987

kalpana

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परी #fourlinepoetry