Nojoto: Largest Storytelling Platform

मन की प्रकृति ऐसी है कि वह हमेशा अधूरा ही महसूस क

मन की प्रकृति ऐसी है कि वह हमेशा अधूरा 
ही महसूस करता है इसी वजह से वह संग्रह
 करता रहता है चाहे अलग-अलग चीजों का
 संग्रह हो ज्ञान का संग्रह हो या फिर अन्य 
लोगों को अपना बनाना हो...
 -जुग्गी वासुदेव

©VED PRAKASH 73
  #जीवन_धारा