यूँ तो दुनिया में ... हैं रिश्ते, मतलबी अब सभी यारों ... मौहब्बत् भी मगर उसने मुझसे, मतलब के लिए अपने की ... कि तन्हा छोड कर मुझको अपनी, ख्वाहिश उसने पूरी की ... ख्वाहिश कत्ल की ... रही होगी मेरी, मौहब्बत् जो उसने, मुझसे की ... कातिल है तू मेरा, बे-गुनाह तू नहीं ... कि जीना भूल गया हूँ मैं, क्या यह कत्ल नहीं ... कहना था बस कह दिया ~~~ निशान्त ~~~ कातिल