सुना है अमावस्या की रात में भटकती आत्माएं घूमती है, जीते जीते जी साकार नहीं हुए सपने,उन्हीं को तरसती है। ज़िन्दगी को लगाव रहा जिन जगहों पर उनको चूमती है, अमावस्या के काले अंधेरों में शायद कुछ सकून ढूंढ़ती है। अंधेरों से मिल जाती है प्रेत - आत्माओं को अधिक ताकत, जीते जी कर ना सके पूर्ण चाहत ढूंढ़ती है अब थोड़ी राहत। आत्माओं के लिए अमावस की रैना होती मुरादों की रैन, शायद घोर अंधेरों से मिल कर ही थोड़ा मिल जाता चैन। JP lodhi 13/03/2021 ©J P Lodhi. #amavasyakirat #amavasya #poetryunplugged #Nojotowriters #Nojotonews #Nojotohindi #Poetry