तुम मुझे अपना सच जीने से जब जब रोकोगे, तब तब सोना उगलूं गा मैं।।। तुम जब जब मुझपर तुम्हारे किए गए अत्याचारों को नकारोगे, मेरी गगन भेदी फुंकर सुनोगे, तुम जब जब दुनिया को मेरा झूठा आइना दिखाओगे, मैं तब तब तुम्हारे बनाए हर शीशे को सच के पत्थर से तोड़ता जाऊंगा। मैंने मौत को कई सौ बार हराया है। मौत का डर नहीं है मुझे, डर तो सिर्फ इस बात का था, कि क्या अपना हर अपना दिल से पराया न हो। पर जिस दिन मौत से दंगल कर रहा था। और तुमने मेरा साथ छोड़ दिया था, वो डर भी खत्म हो गया था, डर तो तभी खत्म हो गया था, जब मौत मुझे अपनी बाहों में उठा लोरी सुना रही थी, कोई पानी भी पूछने वाला न था, और जब कोई न था, तब खुदा को खुद को सौंप न मरने की ठानी थी, ना हार मानने की ठानी थी, और मुझे अगर अब भी तू मुझे चाहता है रोकना, तो ये जान ले बिना मेरी जान लिए बिना तेरा ये सपना, सपना ही रह जाएगा, ©Akhil Kael It's okay Kael... 🤜🤛 #Light