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ऐसे तो मैं ना सोचू, इतना सोचु जो खुद से सवाल करू,

ऐसे तो मैं ना सोचू,
इतना सोचु जो खुद से सवाल करू,
या फिर सवाल के जवाब भी सोचूं,
दिन दूनी रात चौगनी सोचूं,
इतना सोचु जो खुद के बारे में भी ना सोचु,
और इन सोच के हर पहलू में बस वो ही सोचु..
जिस सोच का मेरे जीवन से कोई लेना देना नहीं ।

तो सोचु ऐसा जो बेहतर कर के दिखाऊँ,
और फिर निखरुं ऐसा जो अपनी सोच से हर बुझी सोच को जगाऊं ।

©Prokxima
  #ज़िन्दगीनामा