कविधर्म ही मेरी परिभाषा है... कविता ही मेरी भाषा है, यह अमिट सरस परिभाषा है। मैं जो भी हूँ बस इससे हूँ, यह जीत ही मेरी जिज्ञासा है। दुखियों का मैं सृजन बनूँ बस इतनी ही मेरी आशा है। कविधर्म ही मेरी परिभाषा है..... -- दुर्गेश बहादुर प्रजापति कविधर्म ही मेरी परिभाषा है...