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छोड़ने आया था वो मां को वृद्धाश्रम में मां अब बूढ

छोड़ने आया था वो
मां को वृद्धाश्रम में

मां अब बूढ़ी हो चली थी
खांसती रहती थी दिन रात
चलना फिरना भी था मुश्किल
बहू को नहीं सुहाती थी कोई बात

बच्चों को बिगाड़ रखा है
है पूरा दिन घर में पड़ी रहती
मुझसे अब नहीं होगा इसका
और सुना दिया फैसला
घर में ये रहेगी तो मैं नहीं रहती

बेटा दुविधा में खड़ा सोच रहा था
मन को अपने टटोल रहा था
बचपन घूम गया यादों में
आंसू बहने लगे आंखों में

साहस जुटा नहीं पाया बेटा
त्रिया से ममता को हार गया बेटा
चल दिया मां को साथ लेकर
कुछ घुमा फिरा के कहकर

कौन जाहिल लोग है 
जो अपने मां बाप को यहां छोड़ जाते हैं
ये सोच उसका दिल भर आया
ये सब कहता था वो और
और आज मां को वहीं छोड़ आया #old age home
छोड़ने आया था वो
मां को वृद्धाश्रम में

मां अब बूढ़ी हो चली थी
खांसती रहती थी दिन रात
चलना फिरना भी था मुश्किल
बहू को नहीं सुहाती थी कोई बात

बच्चों को बिगाड़ रखा है
है पूरा दिन घर में पड़ी रहती
मुझसे अब नहीं होगा इसका
और सुना दिया फैसला
घर में ये रहेगी तो मैं नहीं रहती

बेटा दुविधा में खड़ा सोच रहा था
मन को अपने टटोल रहा था
बचपन घूम गया यादों में
आंसू बहने लगे आंखों में

साहस जुटा नहीं पाया बेटा
त्रिया से ममता को हार गया बेटा
चल दिया मां को साथ लेकर
कुछ घुमा फिरा के कहकर

कौन जाहिल लोग है 
जो अपने मां बाप को यहां छोड़ जाते हैं
ये सोच उसका दिल भर आया
ये सब कहता था वो और
और आज मां को वहीं छोड़ आया #old age home
jkd04108205

JD

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