जिंदगी जीने का सबब ढुंढता हूं। मैं मुसाफ़िर हूं अदब ढूंढता हूं।। रास्ते हैं अजिब डगमगाते हैं क़दम। फिर भी वजूदे -ए- मक़ासिद ही ढुंढता हूं मकसद