विधा - सजल कर्म करता चल कभी कुछ कर जाएगा गन्दी आदतें छोड़ दे सुधर जाएगा मित्रता हमने किया था, वादे बहुत थे नहीं पता था, वचन से मुकर जाएगा नाम कमाना तो उम्रभर कि फुर्सत है एक बदनाम पल से तू सिहर जाएगा लोग कहतें हैं गाँव में अच्छा था "हरिश" हालात पढ़ने अब वो शहर जाएगा सँजोया "हरिश" , सलीके से स्वप्न था किसे मालूम था कि वो बिखर जाएगा जमाने तू देखता जा ये स्वर्ण है आग में कुंदन - सा ये निखर जाएगा कविता से दूर न करना प्राण है मेरा जब लिखना बंद होगा "हर" मर जाएगा ,,,,,,,,,,✍️हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन (थान खम्हरिया) बेमेतरा #हरीश