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न दिलों मे तपिश, न रिश्तों का आजमाना था साहब! वो म

न दिलों मे तपिश, न रिश्तों का आजमाना था
साहब! वो मेरे बचपन का ज़माना था..!! 

दिलों से खेलने का कोई रिवाज़ नही था
खुशीयां मुफ़्त मे मिलती थी कोई हिसाब नहीं था
कोई चूम लेता था तो कोई गले लगाता था
कोई बेटा तो कोई आँख का तारा कहता था
बिन बात केथे
ग यूँ ही मुस्कुरा दिया करते थे
इशारों मे ही सही हर शख्स दुलारा करता था! 

न लोग मतलबी होते थे न सच का कोई पैमाना था
साहब वो मेरे बचपन का ज़माना था!! 

झूठ तो शायद तब भी बोलते थे पर संस्कार सच्चे थे
घर होते थे कच्ची मिट्टी के पर रिश्ते तालुकात् पक्के थे
अब्दुल चाचा की बैलगाड़ी मे अक्सर पंडित बाबा बैठे होते थे
तस्लीमा चाची के लिए भी होली दिवाली ईद जैसे ही होते थे
क्या हिंदू क्या मुस्लिम सब का एक ही चौपाल हुआ करता था
टोपीवाला जयकारा तो तिलकवाला दुआ करता था
राजनीति की बातें नेताओं के भाषण तब भी थे
फर्क बस इतना था सुनते थे और सुनकर भूल जाना था
साहब वो मेरे बचपन का ज़माना था! 

बड़ी इमारत के स्कूल नहीं छोटे विद्यालाय होते थे
अंग्रेज़ी वाले dude नही मेधावी बालक होते थे
ज्ञान का कोई मोल नही था शिक्षा की इतनी फीस न थी
बेटी बेटा बनेंगे इंजीनियर मा बाप को ऐसी टीस न थी
डिग्री से तब नौकरी नहीं शिक्षित समाज़ का द्योतक थे
हो सके जहाँ सबकी इज्जत ऐसे गुण के संयोजक थे
...To be continued #falconfilms19

#NitinNirmohiPoetry
#NojotoHindi
न दिलों मे तपिश, न रिश्तों का आजमाना था
साहब! वो मेरे बचपन का ज़माना था..!! 

दिलों से खेलने का कोई रिवाज़ नही था
खुशीयां मुफ़्त मे मिलती थी कोई हिसाब नहीं था
कोई चूम लेता था तो कोई गले लगाता था
कोई बेटा तो कोई आँख का तारा कहता था
बिन बात केथे
ग यूँ ही मुस्कुरा दिया करते थे
इशारों मे ही सही हर शख्स दुलारा करता था! 

न लोग मतलबी होते थे न सच का कोई पैमाना था
साहब वो मेरे बचपन का ज़माना था!! 

झूठ तो शायद तब भी बोलते थे पर संस्कार सच्चे थे
घर होते थे कच्ची मिट्टी के पर रिश्ते तालुकात् पक्के थे
अब्दुल चाचा की बैलगाड़ी मे अक्सर पंडित बाबा बैठे होते थे
तस्लीमा चाची के लिए भी होली दिवाली ईद जैसे ही होते थे
क्या हिंदू क्या मुस्लिम सब का एक ही चौपाल हुआ करता था
टोपीवाला जयकारा तो तिलकवाला दुआ करता था
राजनीति की बातें नेताओं के भाषण तब भी थे
फर्क बस इतना था सुनते थे और सुनकर भूल जाना था
साहब वो मेरे बचपन का ज़माना था! 

बड़ी इमारत के स्कूल नहीं छोटे विद्यालाय होते थे
अंग्रेज़ी वाले dude नही मेधावी बालक होते थे
ज्ञान का कोई मोल नही था शिक्षा की इतनी फीस न थी
बेटी बेटा बनेंगे इंजीनियर मा बाप को ऐसी टीस न थी
डिग्री से तब नौकरी नहीं शिक्षित समाज़ का द्योतक थे
हो सके जहाँ सबकी इज्जत ऐसे गुण के संयोजक थे
...To be continued #falconfilms19

#NitinNirmohiPoetry
#NojotoHindi