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उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। आज जु

उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। आज जुमे का दिन था और रमजान का महीना था। 
मेरे ऑफिस में जो मुस्लिम साथी थे वो आज छुट्टी पर थे,
तो बॉस ने हमें ज्यादा काम करने को दे दिया था।
 आज तो पक्का ओवर टाइम लगाना पड़ेगा...!
और हुआ भी यही 6 बजे ऑफ होना था लेकिन 
ज्यादा काम के चलते आज 10 बजे ऑफ़ होगा।
रात हो गई थी और मैं घर के लिए निकल गई। 
भाई ने बोला भी था कि मैं आ जाता हूं लेने के लिए, 
लेकिन मैंने उसे ये कह कर मना कर दिया कि
 दिल्ली की हूँ यार डर मत आ जाऊंगी!
मेरा घर बस 1 किमी दूर ही था तो चल पड़ी 
मैं रात को अकेले सुनसान रास्ते पर कुछ दूर ही चली थी 
कि मुझे पीछे से कुछ आवाज सुनाई दी,
जैसे कोई उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा हो।
किसी के चलने की आवाज आ रही थी और साथ में 
जैसे कोई रोड पर कुछ मरता आ रहा हो।
मैं बिना पीछे देखे तेज़ी से चलने लगी ,
लेकिन वो आवाज अभी बंद नही हुई थी वो लगातार मेरे साथ ही चल रही थी।
मैं बहुत डर गई और मोबाइल निकाला भाई को कॉल की और 
उसको बताया वो तभी मुझे लेने के लिए निकल पड़ा ।
मैंने हिम्मत करके पीछे देखा तो एक व्यक्ति किसी स्टिक के सहारे तेज़ी से चला आ रहा है, मैं रुकी और उसकी तरफ देखने लगी शायद वो देख नही सकता था मैं उसके पास गई और उसको आवाज लगाई वो डर गया और अपनी स्टिक से मारने लगा मैंने उसको समझाया और फिर उसके ही साथ मैं आगे चलने लगी और उसने बताया कि मैं देख नही सकता ..और आप डरो मत क्योंकि आपसे ज्यादा मैं डर रहा हु..! अँधेरे का सन्नाटा!
#hamariadhurikahani #merikahani #CTL #kavita #kahani #story #andhera #love #life #dar #mrpro #mrperry
उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। आज जुमे का दिन था और रमजान का महीना था। 
मेरे ऑफिस में जो मुस्लिम साथी थे वो आज छुट्टी पर थे,
तो बॉस ने हमें ज्यादा काम करने को दे दिया था।
 आज तो पक्का ओवर टाइम लगाना पड़ेगा...!
और हुआ भी यही 6 बजे ऑफ होना था लेकिन 
ज्यादा काम के चलते आज 10 बजे ऑफ़ होगा।
रात हो गई थी और मैं घर के लिए निकल गई। 
भाई ने बोला भी था कि मैं आ जाता हूं लेने के लिए, 
लेकिन मैंने उसे ये कह कर मना कर दिया कि
 दिल्ली की हूँ यार डर मत आ जाऊंगी!
मेरा घर बस 1 किमी दूर ही था तो चल पड़ी 
मैं रात को अकेले सुनसान रास्ते पर कुछ दूर ही चली थी 
कि मुझे पीछे से कुछ आवाज सुनाई दी,
जैसे कोई उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा हो।
किसी के चलने की आवाज आ रही थी और साथ में 
जैसे कोई रोड पर कुछ मरता आ रहा हो।
मैं बिना पीछे देखे तेज़ी से चलने लगी ,
लेकिन वो आवाज अभी बंद नही हुई थी वो लगातार मेरे साथ ही चल रही थी।
मैं बहुत डर गई और मोबाइल निकाला भाई को कॉल की और 
उसको बताया वो तभी मुझे लेने के लिए निकल पड़ा ।
मैंने हिम्मत करके पीछे देखा तो एक व्यक्ति किसी स्टिक के सहारे तेज़ी से चला आ रहा है, मैं रुकी और उसकी तरफ देखने लगी शायद वो देख नही सकता था मैं उसके पास गई और उसको आवाज लगाई वो डर गया और अपनी स्टिक से मारने लगा मैंने उसको समझाया और फिर उसके ही साथ मैं आगे चलने लगी और उसने बताया कि मैं देख नही सकता ..और आप डरो मत क्योंकि आपसे ज्यादा मैं डर रहा हु..! अँधेरे का सन्नाटा!
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