~© अंजली राय शीर्षक -"दुःख के बादल" _____________________ दुःख की बूंदे तपते मन की सतह पर कभी जमनी नहीं चाहिए, बल्कि पड़ते ही भाप बनकर उड़ जानी चाहिए ।