कुछ वक्त का तकाज़ा ज्यादा पढ़ नहीं पाती पर मानव को बहुत पसंद करती हूं दिल से सुनती असीम गहरे निशान सा मेरे दिल को दस्तक देती उसने आवाज़ सुनते ही बस कुछ अछुई कहानी बुनती उनकी क़िताब जितनी भी हो मगर सोचती समझी एक किताब का शीर्षक ठीक मेरे पीछे लगता मेरे पूछे ही खड़े होकर आवाजे पुकारती मेरी रूह में बस उतरती उभरती जाती तार से टपकटी बूंदों में हवा से उड़ती जुल्फों को संवारती मंद मुस्कुराती अंतर से आवाज़ आती वहीं अंतिमां बन जाती अंतिमा एक किताब के गत्ते पर जो पत्ता है बस उसकी कुकुराहट मानव के कानों में गूंज बन गूंजना चाहती अंतिमा सी अंतिम श्वास में मानव को आवाज़ लगाती मानव. व व व व....... #manavkaul #realityoflife #feelings #yqbaba #yqdidi कुछ वक्त का तकाज़ा ज्यादा पढ़ नहीं पाती पर मानव को बहुत पसंद करती हूं दिल से सुनती असीम गहरे निशान सा मेरे दिल को दस्तक देती उसने आवाज़ सुनते ही बस कुछ अछुई कहानी बुनती उनकी क़िताब जितनी भी हो मगर सोचती समझी एक किताब का शीर्षक ठीक मेरे पीछे लगता मेरे पूछे ही खड़े होकर आवाजे पुकारती