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कई इल्ज़ाम हैं मुझपर,अब एक इल्ज़ाम तुम देना, में त

कई इल्ज़ाम हैं मुझपर,अब एक इल्ज़ाम तुम देना,
में तेरी बेसुकुनी हूं मुझे ये नाम तुम देना,

नहीं आते तो क्या होता,के सबकुछ ठीक ही रहता,
नहीं मिलते अकेले मे तो ये इल्ज़ाम न होता,

कई अल्फाज़ हैं दिल मे,बता किसको बताऊं में,
कोई पूछे जो क्या हुआ,ये सब कब तक छुपाऊं में,

कई इल्ज़ाम हैं मुझपर,अब एक इल्ज़ाम तुम देना,
के कुछ न कर सकें तो बेवफा ही नाम तुम देना,

मेरे अल्फाज़ आधे हैं,में एक बेजान गुड़ियां हूं
जिसे छोड़ा जमाने ने,में वो आजाद चिड़ियां हूं,

मेरी खामोशियां देखो,तुम्हे अफसोस तो होगा,
जो मेने तुमको बतलाया,वो सारे राज आधे हैं

 कई इल्ज़ाम हैं मुझपर,अब एक इल्ज़ाम तुम देना,
के जो तुमको पसंद हो,बस वही एक नाम रख देना।

©Andlib Rana
  एक इल्ज़ाम तुम देना।
andlibrana9883

Andlib Rana

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एक इल्ज़ाम तुम देना। #Poetry

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