दास्तान-ए-ग़म अब अपना क्या सुनाएँ क्या किसी को हम सब कुछ सह कर भी जी रहें हैं हम ज़िंदगी से हमने हार नहीं मानी कभी जो भी मिल रहा है उसे स्वीकार कर रहे हैं हम हमने तो ये ही जाना है अब तक खूबियों का हमें सदा होता है भ्रम असल में मिलते हैं हर मोड़ पर हमें ग़म ♥️ Challenge-776 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।