ये ज़िंदगी है उतर चढ़ाव लगा रहता है, ये खेल ज़िंदगी के तु खेला करना हार जीत होगी पर कभी आख़री नहीं होगी...। मेरी जीत में भी हार हो गयी जो तु मुझे छोड़ चली गयी ग़मों में डूबा रहता था इस क़दर जेसे राह राह में भटकता दर-बदर, पर अब क्या करे ग़मों में भी मुस्कुराना सिख लिया है। सुप्रभात। ज़िन्दगी है, यहाँ हार-जीत तो लगी रहती है।