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आज जहाँ ये कंक्रीट का जंगल खड़ा है यहाँ हरियाली की

आज जहाँ ये कंक्रीट का जंगल खड़ा है यहाँ हरियाली की बहार थी
इन चौड़ी सड़को की जगह दूर तक जाती पगडंडियों की कतार थी
कुएं के मीठे पानी को और बरगद के पुराने पेड़ की ठंडी छांव को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को

ये आज जहाँ कैफ़े कॉफ़ी डे है एक बड़ी चौपाल हुआ करती थी
जहाँ शाम होते ही बातों के साथ ताश की लंबी बाजियां चलती थी
खेतों में लहलहाती फसलों को और पूरब से आती ठंडी हवाओं को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को

ये जहाँ नकली झूले लगे हैं यहाँ सावन की पींगे डला करती थीं
जहाँ मिनरल वाटर बिक रहा है पनियारियां कुए से पानी भरती थी
रिश्तों की मिठास को और बड़े बूढ़ों की दुआओं को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को एक #शहर निगल गया मेरे #गांव को
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आज जहाँ ये कंक्रीट का जंगल खड़ा है यहाँ हरियाली की बहार थी
इन चौड़ी सड़को की जगह दूर तक जाती पगडंडियों की कतार थी
कुएं के मीठे पानी को और बरगद के पुराने पेड़ की ठंडी छांव को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को

ये आज जहाँ कैफ़े कॉफ़ी डे है एक बड़ी चौपाल हुआ करती थी
जहाँ शाम होते ही बातों के साथ ताश की लंबी बाजियां चलती थी
खेतों में लहलहाती फसलों को और पूरब से आती ठंडी हवाओं को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को

ये जहाँ नकली झूले लगे हैं यहाँ सावन की पींगे डला करती थीं
जहाँ मिनरल वाटर बिक रहा है पनियारियां कुए से पानी भरती थी
रिश्तों की मिठास को और बड़े बूढ़ों की दुआओं को
एक शहर निगल गया मेरे गांव को एक #शहर निगल गया मेरे #गांव को
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