मैं डटी रही पहाड़ सा मैं डरी नहीं हालात से मैने चिरा नदी के धार को देखो मैं चल पड़ी उस पार को रुकी नही मैं राह पर चली हमेशा सत्य के माग॔ पर मुझे क्या कोई छल पाएगा वो खुद छला जाएगा कृपा हे मुझ पर ईश्वर की फिर मेरा कोई क्या उखाड़ पाएगा मैं डरु क्यों किसी के बात से जब मैं हुं यंहा इश्वर के ताप से मेरा भला अौर बूरा हो सकता हे सिफ॔ इश्वर के चाह से कौन रोकेगा मुझे बता मैं बहती नदी का धार हूं जो रोकने आएगा वो खुद ही हार के लौट जाएगा जो लिखा हे मेरे किश्मत में वो मेरा हो ही जाएगा .....by bina singh ##be strong## be confident