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मैं डटी रही पहाड़ सा मैं डरी नहीं हालात से मैने

मैं डटी रही पहाड़ सा 
मैं डरी नहीं हालात से 
मैने चिरा नदी के धार को 
देखो मैं चल पड़ी उस पार को
रुकी नही मैं राह पर 
चली हमेशा सत्य के माग॔ पर 
मुझे क्या कोई छल पाएगा 
वो खुद छला जाएगा 
कृपा हे मुझ पर ईश्वर की 
फिर मेरा कोई क्या उखाड़ पाएगा 
मैं डरु क्यों  किसी के बात से 
जब मैं हुं यंहा इश्वर के ताप से 
मेरा भला अौर बूरा  हो सकता हे 
सिफ॔ इश्वर के चाह से 
कौन रोकेगा मुझे बता 
मैं बहती नदी का धार हूं 
जो रोकने आएगा 
वो खुद ही हार के लौट जाएगा 
जो लिखा हे मेरे किश्मत में 
वो मेरा हो ही जाएगा  .....by bina singh ##be strong## be confident
मैं डटी रही पहाड़ सा 
मैं डरी नहीं हालात से 
मैने चिरा नदी के धार को 
देखो मैं चल पड़ी उस पार को
रुकी नही मैं राह पर 
चली हमेशा सत्य के माग॔ पर 
मुझे क्या कोई छल पाएगा 
वो खुद छला जाएगा 
कृपा हे मुझ पर ईश्वर की 
फिर मेरा कोई क्या उखाड़ पाएगा 
मैं डरु क्यों  किसी के बात से 
जब मैं हुं यंहा इश्वर के ताप से 
मेरा भला अौर बूरा  हो सकता हे 
सिफ॔ इश्वर के चाह से 
कौन रोकेगा मुझे बता 
मैं बहती नदी का धार हूं 
जो रोकने आएगा 
वो खुद ही हार के लौट जाएगा 
जो लिखा हे मेरे किश्मत में 
वो मेरा हो ही जाएगा  .....by bina singh ##be strong## be confident
binasingh4099

Bina Singh

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